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जोखिम आधारित आंतरिक लेखा परीक्षा (आरबीआईए) ढांचा - नियमन व्यवस्था को मजबूत करना - आरबीआई - Reserve Bank of India

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जोखिम आधारित आंतरिक लेखा परीक्षा (आरबीआईए) ढांचा - नियमन व्यवस्था को मजबूत करना

भारिबैं/2020-21/83
संदर्भ सं.पवि.केंका.पीपीजी./एसईसी.04/11.01.005/2020-21

07 जनवरी, 2021

अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यकारी अधिकारी
सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (आर.आर.बी को छोड़कर)
सभी स्थानीय क्षेत्र बैंक
सभी लघु वित्त बैंक और
सभी भुगतान बैंक

महोदया / महोदय,

जोखिम आधारित आंतरिक लेखा परीक्षा (आरबीआईए) ढांचा - नियमन व्यवस्था को मजबूत करना

भारिबैं द्वारा परिपत्र DBS.CO.PP.BC.10/11.01.005/2002-03 दिनांक 27 दिसंबर, 2002 के माध्यम से जारी जोखिम आधारित आंतरिक लेखापरीक्षा के मार्गदर्शन नोट के संदर्भ में, बैंकों को, अन्य बातों के साथ-साथ, यह आवश्यक किया गया हैं कि वे अपने आंतरिक नियंत्रण ढांचे के हिस्से के रूप में एक जोखिम आधारित आंतरिक लेखा परीक्षा (RBIA) प्रणाली स्थापित करें जो अन्य बातों के साथ लेखा परीक्षा के लिए एक अच्छी तरह से परिभाषित नीति पर निर्भर हो, बैंक में पर्याप्त स्थायी और अधिकार के साथ कार्यात्मक स्वतंत्रता हो, संचार के प्रभावी माध्यम हो, पर्याप्त व्यावसायिक दक्षता के साथ पर्याप्त लेखा परीक्षा संसाधन हो।

हालांकि, पूर्वोक्त मार्गदर्शन नोट जोखिम आधारित आंतरिक लेखा परीक्षा कार्यों के लिए बुनियादी दृष्टिकोण का निर्धारित करता है, बैंकों से उनके समग्र नियमन और आंतरिक नियंत्रण ढांचे के एक हिस्से के रूप में विकसित हो रही सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप अपने दृष्टिकोण को फिर से बहलने की उम्मीद की जाती है। बैंकों को बेसेल समिति (बीसीबीएस) और आंतरिक लेखा परीक्षकों (आईआईए) द्वारा जारी किए गए अंतर्राष्ट्रीय आंतरिक लेखा परीक्षा मानकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

3. बैंकों द्वारा अनुसरण किए जाने वाले दृष्टिकोण में एकरूपता लाने के लिए, साथ ही साथ आंतरिक लेखा परीक्षा कार्यों पर उम्मीदों को सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप करने के लिए, बैंकों को निम्न सलाह दी जाती है:

क) प्राधिकरण, महत्ता और स्वतंत्रता - आंतरिक लेखा परीक्षा कार्य के पास बैंक के भीतर पर्याप्त अधिकार, महत्ता, स्वतंत्रता और संसाधन होने चाहिए, जिससे आंतरिक लेखा परीक्षकों को निष्पक्षता के साथ अपने कार्य को पूरा करने में सक्षम बनाया जा सके।तदनुसार, आंतरिक लेखा परीक्षा (HIA) प्रमुख बैंक का एक वरिष्ठ कार्यपालक होगा, जिसके पास स्वतंत्र निर्णय लेने की क्षमता होगी। एचआईए और साथ ही आंतरिक लेखापरीक्षा कार्य के पास किसी भी स्टाफ सदस्य के साथ संवाद करने का अधिकार होगा और उसके पास सौंपी गई जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए आवश्यक सभी रिकॉर्ड या फाइलों तक पहुंच होगी।

ख) योग्यता - बैंक के आंतरिक लेखा परीक्षा कार्य की प्रभावशीलता के लिए प्रत्येक आंतरिक लेखा परीक्षक की आवश्यक व्यावसायिक दक्षता, ज्ञान और अनुभव आवश्यक है। ज्ञान और अनुभव के वांछित क्षेत्रों में अन्य अलावा बैंकिंग परिचालन, लेखा, सूचना प्रौद्योगिकी, डेटा विश्लेषिकी और फोरेंसिक जांच शामिल होंगे। बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आंतरिक लेखा परीक्षा कार्य के पास बैंक के सभी क्षेत्रों का लेखा परीक्षा करने के लिए आवश्यक कौशल हैं।

ग) स्टाफ रोटेशन - उन संस्थानों जहां आंतरिक लेखा परीक्षा एक विशेष कार्य है और कैरियर आंतरिक लेखा परीक्षकों द्वारा प्रबंधित किया जाता है को छोड़कर, बोर्ड को आंतरिक लेखा परीक्षा कार्य में कर्मचारियों के लिए सेवा की न्यूनतम अवधि निर्धारित करनी चाहिए। बोर्ड उन कर्मचारियों जो लेखा परीक्षा कार्य का विशेष ज्ञान रखते हैं, लेकिन जो अन्य विभागों में तैनात हैं, के लिए आंतरिक लेखा परीक्षा कार्य में कम से कम एक कार्यावधि नियत करने की व्यवहार्यता की जांच कर सकता है ताकि आंतरिक लेखा परीक्षा कार्य में संलग्न कर्मचारियों पास पर्याप्त कौशल हो।

घ) आंतरिक लेखा परीक्षा के प्रमुख की नियुक्ति के लिए कार्यकाल - उन संस्थाओं को छोड़कर, जहां आंतरिक लेखा परीक्षा कार्य एक विशेष कार्य है और कैरियर आंतरिक लेखा परीक्षकों द्वारा प्रबंधित किया जाता है, एच.आई.ए को यथोचित लंबी अवधि विशेषतः न्यूनतम तीन वर्षों के लिए नियुक्त किया जाएगा।

ड़) रिपोर्टिंग लाइन - एचआईए सीधे बोर्ड की लेखा परीक्षा समिति (एसीबी) / प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी या पूर्णकालिक निदेशक (डब्लयूटीडी) को रिपोर्ट करेगा। यदि, निदेशक मंडल प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी या पूर्णकालिक निदेशक को एचआईए का 'रिपोर्टिंग प्राधिकारी' बनाने की अनुमति देने का निर्णय लेते हैं तब एचआईए के प्रदर्शन के मूल्यांकन के मामले में 'समीक्षा करने का अधिकार' एसीबी के पास होगा और 'स्वीकार करने का अधिकार' मामलों में बोर्ड के पास होगा। इसके अलावा, ऐसे मामलों में एसीबी, प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी/डब्लयूटीडी सहित वरिष्ठ प्रबंधन की उपस्थिति के बिना, तिमाही में कम से कम एक बार एचआईएसे मिलेंगे। एचआईए का बैंक के व्यवसाय वर्टिकल के साथ कोई रिपोर्टिंग संबंध नहीं होगा और उसे कोई व्यावसायिक लक्ष्य नहीं दिया जाएगा। भारत में शाखाओं के रूप में काम करने वाले विदेशी बैंकों में, एचआईए नियंत्रण कार्यालय / प्रधान कार्यालय में आंतरिक लेखा परीक्षा कार्य को रिपोर्ट करेगा।

च) पारिश्रमिक - यदि आंतरिक लेखा परीक्षा कर्मचारियों के पारिश्रमिक को व्यावसायिक गतिविधियों, जिनके लेखा परीक्षा का दायित्व उनपर है के वित्तीय प्रदर्शन से जोड़ा जाता है तो इससे आंतरिक लेखापरीक्षा कार्य की स्वतंत्रता और निष्पक्षता प्रभावित होगी। इस प्रकार, पारिश्रमिक नीतियों को इस तरह से संरचित किया जाना चाहिए कि हितों के टकराव से बचा जा सके और लेखा परीक्षा की स्वतंत्रता और निष्पक्षता से समझौता न हो।

4. आंतरिक लेखा परीक्षा कार्य को आउटसोर्स नहीं किया जाएगा। हालाँकि, जहाँ आवश्यक हो, पूर्व कर्मचारियों सहित विशेषज्ञों को अनुबंध के आधार पर एसीबी के अधीन काम पर रखा जा सकता है बशर्ते एसीबी द्वारा यह आश्वासन दिया जाए कि बैंक के लेखा परीक्षा कार्य में ऐसी विशेषज्ञता मौजूद नहीं है। ऐसे मामलों में हितों के किसी भी टकराव की पहचान की जाएगी और प्रभावी ढंग से निवारण किया जाएगा। सभी मामलों में लेखापरीक्षा रिपोर्टों का स्वामित्व आंतरिक लेखा परीक्षा कार्य के नियमित अधिकारियों के पास रहेगा।

5. बैंक उचित प्रलेखन के माध्यम से अनिवार्य रूप से यह सुनिश्चित और प्रदर्शित करेंगें कि उनके जोखिम-आधारित आंतरिक लेखा परीक्षा ढांचा में उनके संगठनात्मक संरचना, व्यापार मॉडल और जोखिमों के लिए अनुकूल सभी महत्वपूर्ण मानदंड / सिद्धांत को शामिल किया जाता है।

6. इस परिपत्र में निहित निर्देश इस परिपत्र की तारीख से तुरंत लागू होंगे।

7. यह परिपत्र जोखिम-आधारित आंतरिक लेखा परीक्षा पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 27 दिसंबर, 2002 को जारी किए गए दिशानिर्देशों और इस विषय में समय-समय पर जारी किए गए अन्य परिपत्र / निर्देशों का पूरक है और मार्गदर्शन के किसी भी सामान्य क्षेत्रों के लिए इस परिपत्र का अनुसरण किया जाएगा।

भवदीय

(अजय कुमार चौधरी)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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